नाट्यशास्त्र : नाट्य-विधान और संगीत-प्रयोग
डॉ गुंजन कुमार झा नाटक और संगीत का शायद ही कोई ऐसा पक्ष हो जिसकी चर्चा नाट्यशास्त्र में ना की गयी हो। इसलिए नाट्यशास्त्र का संदर्भ दिए बगैर इन विषयों में कोई भी बात पूरी नहीं होती। नाटकों में गीत और संगीत की स्थिति क्या है और कैसी होनी चाहिए, […]
नाटकों में संगीत की महत्ता
डॉ गुंजन कुमार झा नाटकों के मंचन में संगीत केवल एक सहयोगी तत्त्व ही नहीं अपितु एक अनिवार्य अंग है। भरत से लेकर आज तक संगीत नाटकों को न सिर्फ लोकप्रिय बनाता रहा है अपितु उसकी गूढ व्यंजनाओं को भी सरलीकृत रूप में लोक-हृदय तक पहँचाने में अपनी सार्थक भूमिका […]
रंगमंच और नाटक
रंगमंच और नाटक मनुष्य एक जीवन जीता है और मर जाता है। जीवन के इस पूरे सफर में वह नाना प्रकार के भावों और संवेदनाओं से टकराता है। खुश होता है, दुखी होता है। रूठता है, मनाया जाता है। प्रेम करता है, नफरत भी करता है। भाव और संवेदना के […]