चालीस के बाद
लघु कहानी | गुंजन कुमार झा गूगल बताता है कि स्लोथ नामक जीव इस दुनियां का सबसे आलसी प्राणी है. गलत है. मैं कहता हूं मनुष्य से ज्यादा आलसी प्राणी इस दुनियां में कोई नहीं. हमारे सारे आविष्कार और सभी अनुसंधान हमारे आलस्य के प्रतिफलन ही हैं. चालीस के बाद […]
जैनेन्द्र कुमार : जान्हवी
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-6} जैनेन्द्र कुमार : जान्हवी कहानीकार के रूप में जैनेन्द्र का उदय प्रेमचन्द युग में हुआ। किन्तु प्रेमचंद और जैनेन्द्र में बुनियादी अंतर स्पष्ट है। । प्रेमचन्द ने जहां अपने समग्र कथा साहित्य में व्यष्टि के स्थान पर समष्टि को महत्व […]
निर्मल वर्मा : धूप का एक टुकड़ा
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-4} निर्मल वर्मा : धूप का एक टुकड़ा नयी कहानी के प्रणेताओं में प्रचलित परम्परा से बिल्कुल अलग कथाकार निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1929 ई- को शिमला में हआ। पहाड़ी शहर की सुरम्य वादियों की छाया की पहचान निर्मल […]
प्रेमचंद : माँ
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक: एक कहानी {संक्षिप्तिका-3} प्रेमचंद : माँ प्रेमचन्द हिन्दी कहानी के पुरोधा रचनाकार हैं। इनका जन्म 31 जुलाई 1880 ई- को बनारस के समीप लमही नामक गाँव में हुआ। मूल नाम धनपतराय श्रीवास्तव। इन्हें इनके जानने वाले नवाबराय के नाम से भी पुकारते थे। इनके […]
कृष्णा सोबती : सिक्का बदल गया
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी, संक्षिप्तिका-2 कृष्णा सोबती : सिक्का बदल गया आधुनिक हिन्दी कहानीकारों में नयी कहानी के महत्त्वपूर्ण कथाकारों में कृष्णा सोबती का नाम एहतराम के साथ लिया जाता है। मूलतः पंजाब की रहने वाली कृष्णा सोबती ने अपनी लम्बी साहित्यिक यात्रा में अनेक […]
मोहन राकेश : मलबे का मालिक {एक लेखक एक कहानी-1}
डॉ गुंजन कुमार झा मोहन राकेश नई कहानी के सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं। वास्तविक नाम मदनमोहन गुगलानी । इनका जन्म सन् 1925 ई- में अमृतसर, पंजाब में हुआ। मघ्यमवर्गीय परिवार में पले-बढे मोहन राकेश ने पंजाब विश्वविद्यालय से एम-ए- तक की शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय तक ये जालन्धर के […]