‘मीडिया’ का बदलता स्वरुप और ‘न्यू मीडिया’
डॉ गुंजन कुमार झा मनुष्य और मनुष्य के बीच संवाद और सूचना का आदान-प्रदान होता रहे, यह मानवीय सभ्यता की केन्द्रीय चिंताओं में रही है। इसलिए भाषा और संप्रेषण के माध्यमों का जन्म हुआ। तकनीक ने मनुष्य की शारीरिक उपस्थिति को अनावश्यक बना दिया। संपर्क और सूचनाओं का आदान-प्रदान अब […]
हिन्दी सांस्कृतिक पत्रकारिता का चरित्र
डॉ गुंजन कुमार झा एक प्रतिष्ठित हिन्दी अखबार में मैं शास्त्रीय संगीत के एक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग पढ रहा था। रिपोर्टिंग करने वाली संभ्रांत संगीत समालोचक मानी जाती हैं। उसमें लिखा था कि अमुक जगह कार्यक्रम हुआ जिसमें अमुक कलाकार ने अपनी मनभावन प्रस्तुति दी। उन्होंने अमुक राग प्रस्तुत किया। […]