जयपुर वाली लड़की से प्यार
डॉ गुंजन कुमार झा ◆1◆ एक फैंटेसी थी कि शादी करूंगा तो एक कथक नृत्यांगना से। किसी फिल्म-विल्म में देखा होगा। साधारण नैन-नक्श वाला हीरो गा रहा है और हिरनी जैसी बलखाती सुंदर सी हीरोइन नाच रही है। जब शास्त्रीय संगीत से परिचय हुआ तो पता चला कि वो सपनों […]
जैनेन्द्र कुमार : जान्हवी
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-6} जैनेन्द्र कुमार : जान्हवी कहानीकार के रूप में जैनेन्द्र का उदय प्रेमचन्द युग में हुआ। किन्तु प्रेमचंद और जैनेन्द्र में बुनियादी अंतर स्पष्ट है। । प्रेमचन्द ने जहां अपने समग्र कथा साहित्य में व्यष्टि के स्थान पर समष्टि को महत्व […]
बंग महिला : दुलाई वाली
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-5} बंग महिला :दुलाई वाली आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने आधुनिक हिन्दी कहानी की आरंभिक कहानियों में ‘सरस्वती’ में प्रकाशित कहानियों को गिना है – जिनमें इंदुमती (1900) – किशोरी लाल गोस्वामी, ग्यारह वर्ष का समय (1903ई-), और ‘दुलाई वाली’ (1907) को […]
निर्मल वर्मा : धूप का एक टुकड़ा
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-4} निर्मल वर्मा : धूप का एक टुकड़ा नयी कहानी के प्रणेताओं में प्रचलित परम्परा से बिल्कुल अलग कथाकार निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1929 ई- को शिमला में हआ। पहाड़ी शहर की सुरम्य वादियों की छाया की पहचान निर्मल […]
प्रेमचंद : माँ
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक: एक कहानी {संक्षिप्तिका-3} प्रेमचंद : माँ प्रेमचन्द हिन्दी कहानी के पुरोधा रचनाकार हैं। इनका जन्म 31 जुलाई 1880 ई- को बनारस के समीप लमही नामक गाँव में हुआ। मूल नाम धनपतराय श्रीवास्तव। इन्हें इनके जानने वाले नवाबराय के नाम से भी पुकारते थे। इनके […]
कृष्णा सोबती : सिक्का बदल गया
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी, संक्षिप्तिका-2 कृष्णा सोबती : सिक्का बदल गया आधुनिक हिन्दी कहानीकारों में नयी कहानी के महत्त्वपूर्ण कथाकारों में कृष्णा सोबती का नाम एहतराम के साथ लिया जाता है। मूलतः पंजाब की रहने वाली कृष्णा सोबती ने अपनी लम्बी साहित्यिक यात्रा में अनेक […]
मोहन राकेश : मलबे का मालिक {एक लेखक एक कहानी-1}
डॉ गुंजन कुमार झा मोहन राकेश नई कहानी के सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं। वास्तविक नाम मदनमोहन गुगलानी । इनका जन्म सन् 1925 ई- में अमृतसर, पंजाब में हुआ। मघ्यमवर्गीय परिवार में पले-बढे मोहन राकेश ने पंजाब विश्वविद्यालय से एम-ए- तक की शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय तक ये जालन्धर के […]
कथाकार भीष्म साहनी : एक नज़र
डॉ गुंजन कुमार झा स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी कहानी अनेक आंदालनों और वादों के बावजूद जिन्दगी की एक मुकम्मल तस्वीर प्रस्तुत करती है। यों मुकम्ल तस्वीर की जब बात होती है तब उसमें वह अधूरापन भी शामिल रहता ही है जो आधुनिक जीवन का सत्य है और जिसकी अनुगूंज हमें नई कहानी […]