कथाकार भीष्म साहनी : एक नज़र
डॉ गुंजन कुमार झा स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी कहानी अनेक आंदालनों और वादों के बावजूद जिन्दगी की एक मुकम्मल तस्वीर प्रस्तुत करती है। यों मुकम्ल तस्वीर की जब बात होती है तब उसमें वह अधूरापन भी शामिल रहता ही है जो आधुनिक जीवन का सत्य है और जिसकी अनुगूंज हमें नई कहानी […]