नैतिक मूल्यों के विकास में साहित्य का योगदान
डॉ गुंजन कुमार झा मनुष्य ने जब इस पुथ्वी पर अपना जीवन शुरू किया होगा तो उसके सामने जो पहली समस्या रही होगी, वह रही होगी भूख की। भूख मिटाने के लिए उसने कंद-मूल खाए होंगे। पेड़ों पर लगे फ़लों को जतनों से तोड़ा होगा, छोटे जानवरों का शिकार किया […]
भक्तिकालीन कविता और संगीत
डॉ गुंजन कुमार झा भक्ति काल का उद्भव भारतीय साहित्येतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना है. इसके उद्भव को लेकर तमाम तरह की विचारधाराएँ प्रचलित हैं और साहित्य का सामान्य विद्यार्थी उन विचारधाराओं से बराबर दोचार होता ही रहता है . ग्रियर्सन के लिए वह एक बाह्य प्रभाव है , रामचंद्र शुक्ल […]
साहित्य किशोर बौद्धिकता का क्षेत्र है
साहित्य किशोर बौद्धिकता का क्षेत्र है डॉगुंजनकुमार_झा ऑनर्स की कक्षा के दौरान प्रेम और समझदारी के संदर्भ में रामेश्वर राय (Rameshwar Rai) सर का एक वाक्य ह्रदय की धमनियों में घुस जाता था – जहाँ बहुत समझदारी होगी वहाँ प्रेम नहीं होगा। प्रेम और समझदारी का यह विलोम, प्रेम-दर्शन का […]