सांस्कृतिक परंपरा और मीडिया
डॉ गुंजन कुमार झा संस्कृति और परंपरा दोनों ही नित्य गतिमान अवधारणाएं हैं। इसलिए इनकी सम्यक परिभाषा संभव नहीं। इतना अवश्य है कि संस्कृति अपने आप में एक परंपरा है और परंपराएं संस्कृति का अंग हैं। मीडिया एक तीसरी अवधारणा है जो संप्रंषण का व्यापक जरिया है। इसमें व्यक्ति से […]
हिन्दी सांस्कृतिक पत्रकारिता का चरित्र
डॉ गुंजन कुमार झा एक प्रतिष्ठित हिन्दी अखबार में मैं शास्त्रीय संगीत के एक कार्यक्रम की रिपोर्टिंग पढ रहा था। रिपोर्टिंग करने वाली संभ्रांत संगीत समालोचक मानी जाती हैं। उसमें लिखा था कि अमुक जगह कार्यक्रम हुआ जिसमें अमुक कलाकार ने अपनी मनभावन प्रस्तुति दी। उन्होंने अमुक राग प्रस्तुत किया। […]