‘अंधेर नगरी’ में संगीत
डॉ गुंजन कुमार झा भारतेन्दु के लिए साहित्य शगल नहीं था, आन्दोलन था। व्यापक आन्दोलन – स्वाधीनता आन्दोलन, भाषा-आंदोलन, सांस्कृतिक आन्दोलन, साहित्यिक आन्दोलन, सामाजिक आन्दोलन, रंगमंच आन्दोलन। बालकुकुन्द गुप्त ने उनके लेखन को तेज, तीखा, बेधड़क लेखन कहा और रामविलास शर्मा ने उन्हें हिन्दी नवजागरण के साथ ही प्रगतिशील चेतना […]
रंगमंच और संगीत : इतिहास के सूत्र
डॉ गुंजन कुमार झा रंगमंच और संगीत का मूल एक है. इतिहास का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि दोनों का एक दुसरे के विकास में बुनियादी योगदान है. दोनों एक दुसरे से अनुस्यूत हैं. आधुनिक रंगमंच ने कुछ समय के लिए जिस यथार्थवादी रंगमंच को उत्कृष्टता का […]
नाटक की उत्पत्ति
डॉ गुंजन कुमार झा नाटक की उत्पत्ति जिंदगी ने जब पृथ्वी पर अंगड़ाई ली होगी तो उसकी सबसे पहली लड़ाई हुई होगी भूख से। इस भूख को मिटाने के लिए किए गए संघर्ष के बाद जब मनुष्य सुस्ता कर बैठा होगा तो पहली बार उसका मन सर्जना की ओर गया […]
रंगमंच और नाटक
रंगमंच और नाटक मनुष्य एक जीवन जीता है और मर जाता है। जीवन के इस पूरे सफर में वह नाना प्रकार के भावों और संवेदनाओं से टकराता है। खुश होता है, दुखी होता है। रूठता है, मनाया जाता है। प्रेम करता है, नफरत भी करता है। भाव और संवेदना के […]