चालीस के बाद
लघु कहानी | गुंजन कुमार झा गूगल बताता है कि स्लोथ नामक जीव इस दुनियां का सबसे आलसी प्राणी है. गलत है. मैं कहता हूं मनुष्य से ज्यादा आलसी प्राणी इस दुनियां में कोई नहीं. हमारे सारे आविष्कार और सभी अनुसंधान हमारे आलस्य के प्रतिफलन ही हैं. चालीस के बाद […]
लकी मैडम
जेबीटी का कोर्स पूरा होते ही सरिता की नियुक्ति नगर निगम के प्राथमिक विद्यालय में हो गयी. घर ही नहीं , पूरे गाँव में ख़ुशी का माहौल था. ‘’भाई छोरी की सरकारी नौकरी लाग गी रे “ लड्डुओं के कई दौर चले. सरिता ने अपने मोर्चे की बाज़ी मार ली […]
सह्याद्रि : ज़मीन पर बसा एक ख़्वाब
डॉ गुंजन कुमार झा सहयाद्रि यानी ज़मीन पर पसरा एक ख्वाब। एक ख्वाब जो अपने होने में हकीकत को यक़ीन करने लायक अफ़साना बना दे। पहाड़, पत्थर, मैदान, नदी, पेड़, सूरज, चांद, तारे …यानी कि प्रकृति की गोद में विकसित होती ज़िन्दगी। पुणे से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित सहयाद्रि […]
आधुनिक भावबोध
डॉ गुंजन कुमार झा आधुनिकता वस्तुतः परंपरा एवं पुराने रस्मो-रिवाज, पुरानी रूढियों के विरोध का नाम है। आधुनिकता और समकालीनता को लेकर कई सामान्यतः भ्रम की स्थिति बनती है। किंतु दोनों में स्पष्ट अंतर है। समकालीनता का संबंध वर्त्तमान से है, यानी यह काल से संबंधित है वहीं आधुनिकता का […]
जयपुर वाली लड़की से प्यार
डॉ गुंजन कुमार झा ◆1◆ एक फैंटेसी थी कि शादी करूंगा तो एक कथक नृत्यांगना से। किसी फिल्म-विल्म में देखा होगा। साधारण नैन-नक्श वाला हीरो गा रहा है और हिरनी जैसी बलखाती सुंदर सी हीरोइन नाच रही है। जब शास्त्रीय संगीत से परिचय हुआ तो पता चला कि वो सपनों […]
बताना भी नहीं आता छुपाना भी नहीं आता : चीन की स्थिति
डॉ गुंजन कुमार झा कल देर रात तक ग्लोबल टाइम्स पर नज़रें दौड़ाता रहा। कई रिपोर्ट्स और लेखों ने ध्यान खींचा। बड़ी स्पष्टता से समझ में आया कि कि चीन में आग भीतर तक लगी है। एक इतना मजबूत समझे जाने वाले देश की सरकारी मीडिया की सोच इतनी सतही […]
भक्तिकालीन कविता और संगीत
डॉ गुंजन कुमार झा भक्ति काल का उद्भव भारतीय साहित्येतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना है. इसके उद्भव को लेकर तमाम तरह की विचारधाराएँ प्रचलित हैं और साहित्य का सामान्य विद्यार्थी उन विचारधाराओं से बराबर दोचार होता ही रहता है . ग्रियर्सन के लिए वह एक बाह्य प्रभाव है , रामचंद्र शुक्ल […]
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साहित्य किशोर बौद्धिकता का क्षेत्र है
साहित्य किशोर बौद्धिकता का क्षेत्र है डॉगुंजनकुमार_झा ऑनर्स की कक्षा के दौरान प्रेम और समझदारी के संदर्भ में रामेश्वर राय (Rameshwar Rai) सर का एक वाक्य ह्रदय की धमनियों में घुस जाता था – जहाँ बहुत समझदारी होगी वहाँ प्रेम नहीं होगा। प्रेम और समझदारी का यह विलोम, प्रेम-दर्शन का […]
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