लकी मैडम
जेबीटी का कोर्स पूरा होते ही सरिता की नियुक्ति नगर निगम के प्राथमिक विद्यालय में हो गयी. घर ही नहीं , पूरे गाँव में ख़ुशी का माहौल था. ‘’भाई छोरी की सरकारी नौकरी लाग गी रे “ लड्डुओं के कई दौर चले. सरिता ने अपने मोर्चे की बाज़ी मार ली […]
विश्व भाषा के रूप में हिन्दी
विश्व भर में फैले भारतीयों के आलावा नेपाल, म्यांमार, मॉरिशस, त्रिनिदाद, फिजी, गयाना, सूरीनाम, न्युज़िलेंड और संयुक्त अरब अमीरात में आदि देशों में हिन्दी भाषी लोगों की एक बड़ी संख्या मौजूद है. ‘वर्ल्ड लैंग्वेज डाटाबेस’ के 22 वें संस्करण ‘इथोनोलौज’ के अनुसार दुनियां भर में २० सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी तीसरे स्थान पर है. करीब 113 करोड़ के साथ अंग्रेजी पहले स्थान पर है. 111 करोड़ के साथ चीनी दुसरे स्थान पर है . इसके बाद हिन्दी का स्थान आता है.
आधुनिक भावबोध
डॉ गुंजन कुमार झा आधुनिकता वस्तुतः परंपरा एवं पुराने रस्मो-रिवाज, पुरानी रूढियों के विरोध का नाम है। आधुनिकता और समकालीनता को लेकर कई सामान्यतः भ्रम की स्थिति बनती है। किंतु दोनों में स्पष्ट अंतर है। समकालीनता का संबंध वर्त्तमान से है, यानी यह काल से संबंधित है वहीं आधुनिकता का […]
देशभक्ति
डॉ गुंजन कुमार झा देशभक्ति सवाल (छात्र) सोने की चिड़िया माटी की गुड़िया क्या देशभक्ति जादू की पुड़िया हमको समझा दीजिये किसे कहें हम देशभक्त हमको बता दीजिये है देशभक्ति क्या देशभक्ति ? अपनी गाड़ी पर सबसे लम्बा झंडा फहराए अन्य सभी को नीचा समझें अपनी शान बढाए इंडिया […]
संगीत कला और वेश्याएँ
डॉ गुंजन कुमार झा ज्ञान प्राप्त करने के लिए सिद्धार्थ (बुद्ध) जब तपस्यारत थे तब वीणा के स्वरों पर उन्हें गणिकाओं का एक गीत सुनाई पड़ा जिसका सांरांश था कि ‘‘वीणा के तारों को इतना भी न खींचो- नही तो वह टूट जाएंगे और वीणा के तारों को इतना आहिस्ता […]
नैतिक मूल्यों के विकास में साहित्य का योगदान
डॉ गुंजन कुमार झा मनुष्य ने जब इस पुथ्वी पर अपना जीवन शुरू किया होगा तो उसके सामने जो पहली समस्या रही होगी, वह रही होगी भूख की। भूख मिटाने के लिए उसने कंद-मूल खाए होंगे। पेड़ों पर लगे फ़लों को जतनों से तोड़ा होगा, छोटे जानवरों का शिकार किया […]
गर्विस्तान का हिन्दू
डॉ गुंजन कुमार झा दूसरी कक्षा में रहा होऊंगा. एक गोल सा सिक्का मेरे चचेरे बड़े भाई ने लाकर दिया. राम एक धनुष उठाये लड़ने को आतुर खड़े थे. तीर प्रत्यंचा पर चढाने ही वाले थे. बलिष्ठ शरीर और चेहरे पर एक गौरव का भाव. मानो आज विजय प्राप्त करके […]