चालीस के बाद
लघु कहानी | गुंजन कुमार झा गूगल बताता है कि स्लोथ नामक जीव इस दुनियां का सबसे आलसी प्राणी है. गलत है. मैं कहता हूं मनुष्य से ज्यादा आलसी प्राणी इस दुनियां में कोई नहीं. हमारे सारे आविष्कार और सभी अनुसंधान हमारे आलस्य के प्रतिफलन ही हैं. चालीस के बाद […]
लकी मैडम
जेबीटी का कोर्स पूरा होते ही सरिता की नियुक्ति नगर निगम के प्राथमिक विद्यालय में हो गयी. घर ही नहीं , पूरे गाँव में ख़ुशी का माहौल था. ‘’भाई छोरी की सरकारी नौकरी लाग गी रे “ लड्डुओं के कई दौर चले. सरिता ने अपने मोर्चे की बाज़ी मार ली […]
सह्याद्रि : ज़मीन पर बसा एक ख़्वाब
डॉ गुंजन कुमार झा सहयाद्रि यानी ज़मीन पर पसरा एक ख्वाब। एक ख्वाब जो अपने होने में हकीकत को यक़ीन करने लायक अफ़साना बना दे। पहाड़, पत्थर, मैदान, नदी, पेड़, सूरज, चांद, तारे …यानी कि प्रकृति की गोद में विकसित होती ज़िन्दगी। पुणे से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित सहयाद्रि […]
विश्व भाषा के रूप में हिन्दी
विश्व भर में फैले भारतीयों के आलावा नेपाल, म्यांमार, मॉरिशस, त्रिनिदाद, फिजी, गयाना, सूरीनाम, न्युज़िलेंड और संयुक्त अरब अमीरात में आदि देशों में हिन्दी भाषी लोगों की एक बड़ी संख्या मौजूद है. ‘वर्ल्ड लैंग्वेज डाटाबेस’ के 22 वें संस्करण ‘इथोनोलौज’ के अनुसार दुनियां भर में २० सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी तीसरे स्थान पर है. करीब 113 करोड़ के साथ अंग्रेजी पहले स्थान पर है. 111 करोड़ के साथ चीनी दुसरे स्थान पर है . इसके बाद हिन्दी का स्थान आता है.
आधुनिक भावबोध
डॉ गुंजन कुमार झा आधुनिकता वस्तुतः परंपरा एवं पुराने रस्मो-रिवाज, पुरानी रूढियों के विरोध का नाम है। आधुनिकता और समकालीनता को लेकर कई सामान्यतः भ्रम की स्थिति बनती है। किंतु दोनों में स्पष्ट अंतर है। समकालीनता का संबंध वर्त्तमान से है, यानी यह काल से संबंधित है वहीं आधुनिकता का […]
तुम्हारा हूँ
गुंजन कुमार झा तुम्हारा हूँ इसीलिएअब तक नहीं हारा हूँ
जयपुर वाली लड़की से प्यार
डॉ गुंजन कुमार झा ◆1◆ एक फैंटेसी थी कि शादी करूंगा तो एक कथक नृत्यांगना से। किसी फिल्म-विल्म में देखा होगा। साधारण नैन-नक्श वाला हीरो गा रहा है और हिरनी जैसी बलखाती सुंदर सी हीरोइन नाच रही है। जब शास्त्रीय संगीत से परिचय हुआ तो पता चला कि वो सपनों […]
जैनेन्द्र कुमार : जान्हवी
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-6} जैनेन्द्र कुमार : जान्हवी कहानीकार के रूप में जैनेन्द्र का उदय प्रेमचन्द युग में हुआ। किन्तु प्रेमचंद और जैनेन्द्र में बुनियादी अंतर स्पष्ट है। । प्रेमचन्द ने जहां अपने समग्र कथा साहित्य में व्यष्टि के स्थान पर समष्टि को महत्व […]
बंग महिला : दुलाई वाली
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-5} बंग महिला :दुलाई वाली आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने आधुनिक हिन्दी कहानी की आरंभिक कहानियों में ‘सरस्वती’ में प्रकाशित कहानियों को गिना है – जिनमें इंदुमती (1900) – किशोरी लाल गोस्वामी, ग्यारह वर्ष का समय (1903ई-), और ‘दुलाई वाली’ (1907) को […]
निर्मल वर्मा : धूप का एक टुकड़ा
डॉ गुंजन कुमार झा एक लेखक : एक कहानी {संक्षिप्तिका-4} निर्मल वर्मा : धूप का एक टुकड़ा नयी कहानी के प्रणेताओं में प्रचलित परम्परा से बिल्कुल अलग कथाकार निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1929 ई- को शिमला में हआ। पहाड़ी शहर की सुरम्य वादियों की छाया की पहचान निर्मल […]